Sunday, January 2, 2011

तो कुछ दूर तुम भी मेरे साथ आते


जो लहरों से आगे नज़र देख पाती, तो तुम जान लेते कि मै क्या सोचता हूँ

वो आवाज़ जो तुमको भी भेद जाती, तो तुम जान लेते कि मै क्या सोचता हूँ

जिद का तुम्हारे जो पर्दा सरकता, खिडकियों से भी जो आगे तुम देख पाते

आँखों से आदतों कि जो पलके हटाते, तो तुम जान लेते कि मै क्या सोचता हूँ

मेरी तरह होता गर खुद पर ज़रा भरोसा, तो कुछ दूर तुम भी मेरे साथ आते

रंग मेरी आँखों का बनते ज़रा सा, तो कुछ दूर तुम भी मेरे साथ आते

नशा आसमान का जो चूमता तुम्हे, हसरते तुम्हारी नया जन्म पाती

खुद दुसरे जन्म में मेरी उड़ान छूने, तो कुछ दूर तुम भी मेरे साथ आते

तो तुम जन लेते कि मै क्या सोचता हूँ............................................

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