Monday, December 12, 2011

लम्हा...

बूंदों के मोतियों में घुल के एह्साह आया...
वक़्त से निकल के लम्हा दिल के पास आया...
छू के गुज़रा था पर दिल को ना महसूस हुआ...
अब जो देखा तो वो लम्हा दिल को रास आया...
यूँ की तय कर ना पाऊं रे...
दिल की बात मै हवा के ज़रिये पहुचाऊं रे...
या खुद हवा पे चाल के आऊं रे...
तुमसे प्यार है खुलके जिनमे कह पाऊं रे...
लफ्ज़ वो कहाँ से लाऊं रे.......................

Sunday, November 6, 2011

एक कदम और मै चलता रहा.....

एक कदम और मै चलता रहा
रुकावटें भी हैं, दिखावटें भी हैं
अजीब सी उधेड़बुन में फ़सा रहा
एक कदम और मै चलता
रहा

ना आस है कोई
ना पास है कोई
कभी इधर, कभी उधर
एक कदम और मै चलता रहा

यह नहीं, वह सही?
दिल से भी कोई जवाब नहीं
किस मंजिल की तलाश में
एक कदम और मै चलता रहा?

खुद से ही बातें कर रहे थे
राहगीर मेरे साथ के
उनके चेहरों को पढता रहा
एक कदम और मै चलता रहा

जो मंजिल कभी फिरदौस थी
जब मिल गयी ज़र्रा लगी
एक नयी मंजिल की तलाश में
एक कदम और मै चलता रहा.....
बस एक कदम और मै.......

Monday, March 21, 2011

कितना खतरा है हमारे रिएक्टर को


जापान में आए भूकंप और सूनामी के बाद वहां के न्यूक्लियर रिएक्टर में हुए नुकसान ने दुनिया को बहस का एक मुद्दा दे दिया है। जापान में जो हुआ, वह हमारे यहां न हो, इसे लेकर दुनिया भर के लोग अपने देशों के न्यूक्लियर रिएक्टरों की कपैसिटी और सेफ्टी के बारे में सोचने लगे हैं। भारत में भी ऐसी चिंता की जा रही है। हालत यहां तक पहुंच गई कि 14 मार्च को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को संसद में देश के सभी परमाणु संयंत्रों की समीक्षा की बात कहनी पड़ी। भारत के न्यूक्लियर रिएक्टरों की दशा बता रहे हैं नवनीत गौतम :

कितने प्लांट हैं

- देश के अलग-अलग हिस्सों में 20 न्यूक्लियर रिएक्टर प्लांट हैं, जिनमें से 18 पीएचडब्ल्यूआर (प्रेशराइज्ड हेवी वॉटर रिएक्टर) और महाराष्ट्र के तारापुर में 2 बीडब्ल्यूआर (बॉइलिंग वॉटर रिएक्टर) हैं।

- इन सभी 20 प्लांटों की कपैसिटी 4,780 मेगावॉट है। देश में 8 रिएक्टर ऐसे हैं, जो अभी निर्माणाधीन हैं और 21 प्लांट्स के लिए प्लानिंग की जा रही है।

- मुंबई में अभी कोई न्यूक्लियर पावर स्टेशन नहीं है। वहां ट्रॉम्बे में तीन सेंटर थे, जिनमें से एक एशिया का पहला न्यूक्लियर रिएक्टर अप्सरा 1957 में बनाया गया था, लेकिन अब इसमें काम नहीं किया जाता। साइरस रिएक्टर को दिसंबर 2010 में बंद कर दिया गया था। तीसरे सेंटर ध्रुव को केवल रिसर्च के लिए प्रयोग किया जाता है।

क्या है इनकी क्षमता

पब्लिक अवेयरनेस डिविजन (डिपार्टमेंट ऑफ अटॉमिक एनजीर्) के प्रमुख डॉ. एस. के. मल्होत्रा का कहना है कि भूकंप, सूनामी और साइक्लोन जैसी समस्याओं को ध्यान में रखकर इन प्लांट्स को डिजाइन किया गया है। जब भी प्लांट ऑपरेटर को कोई भी इमरजेंसी की चेतावनी मिलती है तो प्लांट शटडाउन हो जाता है। इन प्लांट्स की दीवारें तकरीबन एक मीटर मोटी बनाई गई हैं, जिससे पानी इनके अंदर पहुंचना नामुमकिन जैसा है।

इसके उलट आणविक ऊर्जा नियामक बोर्ड के पूर्व चेयरमैन डॉ. ए. गोपालकृष्णन का कहना है कि जापान के फुकुशिमा परमाणु संयंत्र से जिस तरह रेडिएशन फैल रहा है, उससे भारत को सीख लेने की जरूरत है। भारत में इससे बहुत कम स्तर की आपदा या आपात स्थिति से भी निपटने की हालत नहीं है और जितनी तैयारी है, वह भी पूरी तरह अव्यवस्थित है। भारत का मौजूदा परमाणु सुरक्षा प्रबंध अभी सरकारी तंत्र की वजह से गहरे संकट में है।

कब-कब झेले ऐसे झटके
2002 में गुजरात में आए 7.2 रिक्टर स्केल के झटकों ने जहां पूरे प्रदेश को हिला दिया था, वहीं काकरापार अटॉमिक सेंटर की सेफ्टी को लेकर भी कुछ चिंता हुई थी। लेकिन इस भूकंप से काकरापार अटॉमिक सेंटर को कोई नुकसान नहीं हुआ था। दूसरी तरफ 2004 में आई सूनामी से पूरा दक्षिण भारत दहल उठा था, लेकिन तमिलनाडु के कलपक्कम में लगा मदास अटॉमिक सेंटर पूरी तरह सुरक्षित था। भारत में लगे सभी रिएक्टरों को 8.1 रिक्टर स्केल के भूकंप के झटकों को झेलने की क्षमता के साथ डिजाइन किया गया है और इनमें खास बात यह है कि किसी भी स्थिति में इनका कूलिंग सिस्टम काम करेगा।

दूसरे खतरे
भारत के परमाणु रिएक्टरों पर आतंकवादी हमले की धमकी कई बार मिल चुकी है। इन सभी 20 प्लांट्स को इसीलिए स्पेशल सिक्युरिटी में रखा जाता है। प्रधानमंत्री ने संसद में सभी रिएक्टरों की आतंकवाद संबंधी खतरों से सुरक्षा की स्थिति की भी समीक्षा करने की बात कही है।

दिल्ली को खतरा
देश की राजधानी के सबसे नजदीक यूपी में स्थित नरौरा अटॉमिक पावर सेंटर है, जिसकी दिल्ली से दूरी लगभग 150 किलोमीटर है। नरौरा भूकंप के चौथे जोन में आता है, जिससे इस स्टेशन पर भूकंप जैसे खतरे की आशंका काफी ज्यादा है। इसके अलावा राजस्थान अटॉमिक सेंटर, कोटा से दिल्ली की दूरी लगभग 500 किलोमीटर है इसलिए यहां से दिल्ली को खतरे की आशंका न के बराबर है।

रिएक्टर स्टेट कपैसिटी भूकंप जोन

तारापुर 1, 2 महाराष्ट्र 150 मेगावॉट 3

तारापुर 3, 4 महाराष्ट्र 490 मेगावॉट 3

कैगा 1,2,3,4 कर्नाटक 202 मेगावॉट 3

काकरापर1, 2 गुजरात 202 मेगावॉट 3

कलपक्कम1, 2 तमिलनाडु 202 मेगावॉट 2

रावतभाटा1 राजस्थान 90 मेगावॉट 2

रावतभाटा 2 राजस्थान 187 मेगावॉट 2

रावतभाटा 3, 4 राजस्थान 202 मेगावॉट 2

रावतभाटा 5, 6 राजस्थान 202 मेगावॉट 2

Sunday, January 2, 2011

तो कुछ दूर तुम भी मेरे साथ आते


जो लहरों से आगे नज़र देख पाती, तो तुम जान लेते कि मै क्या सोचता हूँ

वो आवाज़ जो तुमको भी भेद जाती, तो तुम जान लेते कि मै क्या सोचता हूँ

जिद का तुम्हारे जो पर्दा सरकता, खिडकियों से भी जो आगे तुम देख पाते

आँखों से आदतों कि जो पलके हटाते, तो तुम जान लेते कि मै क्या सोचता हूँ

मेरी तरह होता गर खुद पर ज़रा भरोसा, तो कुछ दूर तुम भी मेरे साथ आते

रंग मेरी आँखों का बनते ज़रा सा, तो कुछ दूर तुम भी मेरे साथ आते

नशा आसमान का जो चूमता तुम्हे, हसरते तुम्हारी नया जन्म पाती

खुद दुसरे जन्म में मेरी उड़ान छूने, तो कुछ दूर तुम भी मेरे साथ आते

तो तुम जन लेते कि मै क्या सोचता हूँ............................................