आज भारतीय होकी टीम की हालत ठीक वही है जो कभी किसी बच्चे के माँ बाप मरने के बाद हो जाती है । एक अनाथ बच्चे की तरह होकी टीम अपने अधिकारों और अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है । और देश भर की संस्थाएं और प्रदेशों की सरकारे उन्हें सांत्वना के तौर पर धन राशी मुहया करने की बात कर रही हैं ठीक वैसे ही जैसे उस अनाथ बच्चे के रिश्तेदार करते हैं । लेकिन यहाँ अनाथ बच्चे और हमारी होकी टीम में बस यही अंतर है की इनके माँ बाप मरे नहीं बल्कि मरने का नाटक कर रहे हैं । होकी हमारा राष्ट्रीय खेल है और आज कल टीम के ये हालत राष्ट्रीय शर्म के सामान हैं । क्या भारतीय होकी के अधिकारी को ये सब नहीं दिख रहा है की जहाँ दुनिया भर के होकी संगठन अपनी टीम को आगे बढ़ने के लिए उन्हें हर तरह के साधन उपलब्ध करा रहे हैं वहां हमारी टीम को उनका अधिकार भी नहीं मिल पा रहा है । और उस पर भी अधिकारी कह रहे हैं की "नहीं खेले तो निलंबित कर दिए जायेंगे" ये तो चोरी और सीनाजोरी वाली ही बात होगी । जिस वक़्त के पी एस गिल को हटाया गया था उस वक़्त कहा गया था की ये टीम की भलाई के लिए किया जा रहा है । टीम के सदस्यों के अधिकारों को मार कर किस प्रकार का भला किया जा रहा है ये किसी की भी समझ के परे है । टीम के एक सदस्य की कम से कम 4.5 लाख रुपये होकी इण्डिया को देने हैं लेकिन पैसे देने की बात तो दूर उस पर ये कहा जा रहा है कि नहीं खेले तो निलंबित कर दिए जायेंगे ... ये तो सरासर अन्याय है इस अन्याय के खिलाफ अगर टीम ने आवाज़ उठाई है तो उसकी सुनवाई जल्द से जल्द होनी चाहिए क्यों कि इसमें उन अधिकारीयों की नहीं बल्कि देश कि इज्ज़त का सवाल है ।
टीम के सदस्यों का हड़ताल पर जाना एक दम उचित है और देश भर की मिडिया, और राजनीतिक ताकतों को उनका साथ देना चाहिए । इस पुरे मामले में टीम का देश हित में पुणे कैंप में जाने का निर्णय और वो भी अपने खर्चे पर होकी इंडिया के अधिकारीयों की जीत नहीं बल्कि उनके मुह पर तमाचा है लेकिन वो सभी अधिकारी इतने नकारे हो चुके हैं की इसके बाद भी उनके कान पर जू तक नहीं रेंगी ।
मै होकी टीम के निर्णय की क़द्र करता हूँ और उन अधिकारीयों की निंदा करता हूँ जो इस सब की देख कर भी अनदेखा कर रहे हैं .... इन विपरीत परिस्थितियों से लड़ने के साहस इश्वर होकी टीम को दे और साथ ही भारतीय होकी के अधिकारीयों को बूढी दे यही मेरी इश्वर से प्रार्थना है .............
टीम के सदस्यों का हड़ताल पर जाना एक दम उचित है और देश भर की मिडिया, और राजनीतिक ताकतों को उनका साथ देना चाहिए । इस पुरे मामले में टीम का देश हित में पुणे कैंप में जाने का निर्णय और वो भी अपने खर्चे पर होकी इंडिया के अधिकारीयों की जीत नहीं बल्कि उनके मुह पर तमाचा है लेकिन वो सभी अधिकारी इतने नकारे हो चुके हैं की इसके बाद भी उनके कान पर जू तक नहीं रेंगी ।
मै होकी टीम के निर्णय की क़द्र करता हूँ और उन अधिकारीयों की निंदा करता हूँ जो इस सब की देख कर भी अनदेखा कर रहे हैं .... इन विपरीत परिस्थितियों से लड़ने के साहस इश्वर होकी टीम को दे और साथ ही भारतीय होकी के अधिकारीयों को बूढी दे यही मेरी इश्वर से प्रार्थना है .............