Tuesday, August 3, 2010

plzzz comment on this short poetry film............ http://www.youtube.com/watch?v=lH9FRw7_uOE

Thursday, May 27, 2010

हमने देखा एक शहर ...........

हमने देखा एक शहर

जिसके चारो और भंवर

लोगों के, दुकानों के

बाज़ारों के, खरीदारों के

पीछे छूट जाते जिनके

मंडराते सुनसान से घर

हमने देखा एक शहर

बदहवास लोग घायल थे

दर्द छिपाने में माहिर थे

सिरहाने सपने छोड़ के उठते

लुटते लूटते गिर कर हँसते

किसे पड़ी है कौन बताता

अंधेरों की ठोकरें ठिकर

हमने जिया एक शहर

न सपने परियों के लायक थे

न जीवन सपनो के कायल थे

खेल खेल में टूटते बनते

वो रिश्तों के महिम धागे थे

देहरी पर गुमसुम बैठा रहता

सर झुका के प्रेम का ढाई आखर

हुमने ढोया एक शहर

जिसके चारो और भंवर

हमने देखा एक शहर ...........


Monday, February 1, 2010

संघ से प्रेरणा ले राजनैतिक पार्टियाँ

पिछले दिनों "हिंदी बनाम मराठी ", "महाराष्ट्र बनाम उत्तर भारतीय " का मुद्दा भयंकर चर्चाओं का केंद्र रहा। चाहे राज्य सरकार हो या केंद्र सरकार अपने ढुलमुल रवैये से न तो इस समस्या का कोई समाधान ढूंड पाई और न ही शिव सेना और मनसे के खिलाफ कोई कठोर कार्यवाही । वास्तव में शिवसेना और मनसे में मराठी प्रेम जताने की एक बद्दी होड़ लगी है । इस होड़ में जो आगे रहेगा सत्ता की भूख वो ही शांत कर पायेगा । और कांग्रेस इस लिए चुप है की कहीं कोई बात बिगड़ गई तो राज्य सरकार पर आंच आ सकती है तो उत्तर भारतीय मरते हैं तो मरे , पिटते हैं पिटे .... दो चार पीटेंगे उसके बाद सब शांत हो जायेगा ... सरकार का ये रवैया निहायत ही स्वार्थी और अनैतिक है ।
जहाँ शिवसेना हिंदुत्व का दम भरते नही थकती थी वो शिवसेना शायद भूल गई है की वसुधैव्कुतुम्ब्कम और अतिथि देवो भव: इसी हिंदुत्व की देन हैं ... ऐसे में क्या शिवसेना सही हिंदुत्व की तरफ बढ़ रही है मै यहाँ शिव सेना का ज़िक्र इस लिए ज्यादा नही करूँगा क्यों कि शिवसेना का ये कुकृत्य तो जग जाहिर है इसकी सजा तो उसे अवश्य ही मिलनी चाहिए । लेकिन कुछ परदे के पीछे के गुनेह्गारों के बारे में बताना ज़रूरी समझता हूँ ... इन गुनेह्गारों में कांग्रेस के साथ साथ भाजपा भी उतनी ही ज़िम्मेदार है क्यों अभी भी उन नरभक्षियों के साथ गठबंधन जरी है ... अखंड भारत की बात करने वाली भारतीय जनता पार्टी अब तक क्यों चुप है ... ये भी स्वार्थीपन की हद है .... इस पुरे मसले पर यदि कहीं कोई उम्मीद की किरण जगी तो वो समय था जब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक श्री मोहन राव भागवत ने अपने स्वयंसेवकों को उत्तर भारतियों की रक्षा करने का निर्देश दिया और एक बार फिर बता दिया की संघ ही एक मात्र ऐसा संगठन है जो सिर्फ राष्ट्र हित के बारे में सोचता है ... गलतियाँ हर किसी से होती है लेकिन संघ ने इस बार ये ज़ाहिर कर दिया कि एक राष्ट्र का स्वप्न जो वो लेकर चले थे उस बीच में यदि कुछ अपने भी आये तो हम उनकी भी परवाह नही करेंगे । उम्मीद कि इस किरण के रूप में उभरे सरसंघचालक जी के लिए श्रद्धा से सर झुक जाता है । उन्होंने जाता दिया कि हम एक हैं .... भले ही संघ कि स्थापना महाराष्ट्र में हुई हो , भले ही स्वयं मोहन राव भागवत महाराष्ट्रियन हों लेकिन राष्ट्रहित सर्वोपरी है , जो लोग ये मानते हैं कि संघ एक मराठी संगठन है लेकिन ये बयां उन्हें इस बात का सही जवाब देता है । संघ के प्रथम सरसंघचालक डॉ हेडगेवार मराठी थे , द्वितीये सरसंघचालक श्री गुरु जी का जन्म तमिलनाडु में हुआ था , तृतीये सरसंघ चालक श्री देवरस जी भी मराठी थे , चतुर्थ सरसंघचालक श्री रज्जू भैया उत्तर प्रदेश के रहने वाले थे , निवर्तमान सरसंघचालक श्री सुदर्शन जी कर्नाटक के रहने वाले थे और वर्तमान सरसंघ चालक फिर महाराष्ट्र से हैं लेकिन उनके लिए मराठी होना बड़ी बात नही बल्कि भारतीय होना बड़ी बात है ... सरसंघचालक जी के उत्तर भारतियों के पक्ष में दिया गया बयान निश्चित तोर पर बड़ी प्रशंसा का पात्र है और देश के बड़े बड़े राजनैतिक व्यक्तित्वों को मोहन राव भागवत जी से प्रेरणा लेकर एक राष्ट्र को लेकर सोचना चाहिए....

Tuesday, January 12, 2010

होकी टीम का निर्णय प्रशंसनीय है.

आज भारतीय होकी टीम की हालत ठीक वही है जो कभी किसी बच्चे के माँ बाप मरने के बाद हो जाती है । एक अनाथ बच्चे की तरह होकी टीम अपने अधिकारों और अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है । और देश भर की संस्थाएं और प्रदेशों की सरकारे उन्हें सांत्वना के तौर पर धन राशी मुहया करने की बात कर रही हैं ठीक वैसे ही जैसे उस अनाथ बच्चे के रिश्तेदार करते हैं । लेकिन यहाँ अनाथ बच्चे और हमारी होकी टीम में बस यही अंतर है की इनके माँ बाप मरे नहीं बल्कि मरने का नाटक कर रहे हैं ।
होकी हमारा राष्ट्रीय खेल है और आज कल टीम के ये हालत राष्ट्रीय शर्म के सामान हैं । क्या भारतीय होकी के अधिकारी को ये सब नहीं दिख रहा है की जहाँ दुनिया भर के होकी संगठन अपनी टीम को आगे बढ़ने के लिए उन्हें हर तरह के साधन उपलब्ध करा रहे हैं वहां हमारी टीम को उनका अधिकार भी नहीं मिल पा रहा है । और उस पर भी अधिकारी कह रहे हैं की "नहीं खेले तो निलंबित कर दिए जायेंगे" ये तो चोरी और सीनाजोरी वाली ही बात होगी । जिस वक़्त के पी एस गिल को हटाया गया था उस वक़्त कहा गया था की ये टीम की भलाई के लिए किया जा रहा है । टीम के सदस्यों के अधिकारों को मार कर किस प्रकार का भला किया जा रहा है ये किसी की भी समझ के परे है । टीम के एक सदस्य की कम से कम 4.5 लाख रुपये होकी इण्डिया को देने हैं लेकिन पैसे देने की बात तो दूर उस पर ये कहा जा रहा है कि नहीं खेले तो निलंबित कर दिए जायेंगे ... ये तो सरासर अन्याय है इस अन्याय के खिलाफ अगर टीम ने आवाज़ उठाई है तो उसकी सुनवाई जल्द से जल्द होनी चाहिए क्यों कि इसमें उन अधिकारीयों की नहीं बल्कि देश कि इज्ज़त का सवाल है ।
टीम के सदस्यों का हड़ताल पर जाना एक दम उचित है और देश भर की मिडिया, और राजनीतिक ताकतों को उनका साथ देना चाहिए । इस पुरे मामले में टीम का देश हित में पुणे कैंप में जाने का निर्णय और वो भी अपने खर्चे पर होकी इंडिया के अधिकारीयों की जीत नहीं बल्कि उनके मुह पर तमाचा है लेकिन वो सभी अधिकारी इतने नकारे हो चुके हैं की इसके बाद भी उनके कान पर जू तक नहीं रेंगी ।
मै होकी टीम के निर्णय की क़द्र करता हूँ और उन अधिकारीयों की निंदा करता हूँ जो इस सब की देख कर भी अनदेखा कर रहे हैं .... इन विपरीत परिस्थितियों से लड़ने के साहस इश्वर होकी टीम को दे और साथ ही भारतीय होकी के अधिकारीयों को बूढी दे यही मेरी इश्वर से प्रार्थना है .............

Monday, January 4, 2010

कामयाबी नहीं काबिलियत के पीछे भागो ..

मैंने 3 idiot फिल्म देखी, फिल्म का इतना बेहतरीन निर्देशन देख कर अच्छा लगा , और जो सबसे ज्यादा अहम है, वो है फिल्म का msg जो फिल्म लोगों को देती है । आज बच्चों के माता पिता उनसे इतनी ज्यादा अपेक्षाएं कर लेते हैंकी वो बच्चें उन्हें पूरा नहीं कर पते और उन अपेक्षाओं का मानसिक दबाव उन बच्चों कि जान ले लेता है , वास्तव में वो सब आत्महत्याएं नहीं बल्कि हत्या ही होती है । इश्वर ने हर व्यक्ति को एक अलग गुण दिया है तो क्यों न हम उस गुण के अनुसार अपने बच्चों से अपेक्षाएं करे । लेकिन माता पिता को तो अपने घरों में बड़े बड़े इंजिनीअर और डॉक्टर चाहिए । फिल्म में msg सिर्फ माता पिता के लिए ही नहीं है बल्कि उन students के लिए भी है जो रट्टू बनकर नंबर तो अच्छे ले आते हैं पर उनकी प्रक्टिकल नोलेजे कुछ भी नहीं होती । फिल्म में कहा गया है कि " कामयाबी के लिए नही बल्कि काबिलियत के लिए पढाई करो , कामयाबी तो साली झक मार कर पीछे आयेगी " ।

फिल्म में कहीं न कहीं हमारी शिक्षा व्यवस्था पर भी हल्का प्रहार किया गया है जो काबिले तारीफ है क्यों कि भारत में शिक्षा लेकर हम सबसे पहले u.s. में, विदेश में जाकर नोकरी करना चाहते हैं अरे भाई सब लोग ही विदेश जाकर नौकरी करने लगेंगे तो अपने देश के बारे में कौन सोचेगा । क्या इसी दिन के लिए हमने यहाँ पढाई की थी की पढेंगे यहाँ और सेवा करेंगे किसी और देश की । नासा में 70 % से ज्यादा वैज्ञानिक भारतीय हैं सोचो अगर सभी अपने देश के लिए कम कर रहे होते तो अपने देश का विज्ञानं कितना आगे होता । लेकिन नहीं हमें अच्छा पैसा भी तो चाहिए इस देश ने आखिर हमे दिया ही क्या है जो इस देश के लिए काम करें , ये सोच सरासर गलत है इसी देश ने हमे वो शिक्षा दी है जिस की वजह से हम वहां नौकरी कर पते हैं और फिर हमारा भी कुछ फ़र्ज़ है इस देश के लिए अगर हम ही इस प्रकार मुह फरे लेंगे तो कौन इस देश के बारे में सोचेगा ......... फिल्म का सन्देश वास्तव में काबिले तारीफ है