Sunday, November 6, 2011

एक कदम और मै चलता रहा.....

एक कदम और मै चलता रहा
रुकावटें भी हैं, दिखावटें भी हैं
अजीब सी उधेड़बुन में फ़सा रहा
एक कदम और मै चलता
रहा

ना आस है कोई
ना पास है कोई
कभी इधर, कभी उधर
एक कदम और मै चलता रहा

यह नहीं, वह सही?
दिल से भी कोई जवाब नहीं
किस मंजिल की तलाश में
एक कदम और मै चलता रहा?

खुद से ही बातें कर रहे थे
राहगीर मेरे साथ के
उनके चेहरों को पढता रहा
एक कदम और मै चलता रहा

जो मंजिल कभी फिरदौस थी
जब मिल गयी ज़र्रा लगी
एक नयी मंजिल की तलाश में
एक कदम और मै चलता रहा.....
बस एक कदम और मै.......